Basic Computer Course






कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computers in Hindi) 

कंप्‍यूटर क्‍या है - What is Computer

कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है
Computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।
 
कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमांड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, इन सब के बीच तालमेल बनाकर कंप्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर यानि ऑपरेटिंग सिस्टम

कम्प्यूटर का जनक कौन है 

कम्प्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कहा जाता है,  चार्ल्स बैबेज जन्म लंदन में हुआ था वहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है तो अंग्रेजी से ही कोई शब्द क्यों नहीं लिया गया इसकी वजह यह है कि जो अंग्रेजी भाषा है उसके  तकनीकी शब्द खासतौर पर प्राचीन ग्रीक भाषा और लैटिन भाषा पर आधारित है इसलिए कंप्यूटर शब्द के लिए यानी एक ऐसी मशीन के लिए जो गणना करती है उसके लिए लैटिन भाषा के शब्द कंप्यूट (Comput)  को लिया गया 
 

कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में (Full form of computer in Hindi)

  • सी - आम तौर पर
  • ओ - संचालित
  • एम - मशीन
  • पी- विशेष रूप से
  • यू- प्रयुक्त
  • टी - तकनीकी
  • ई - शैक्षणिक
  • आर - अनुसंधान
कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया
जाता ह



कंप्यूटर की फुल फॉर्म इंग्लिश में (Full form of computer in english)

  • C - Commonly
  • O - Operated
  • M - Machine
  • P- Particularly
  • U- Used
  • T - Technical
  • E - Educational
  • R - Research

कंप्यूटर के भागों का नाम – Computer parts Name in Hindi 

  • प्रोसेसर – Micro Processor.
  • मदर बोर्ड – Mother Board.
  • मेमोरी – Memory.
  • हार्ड डिस्क – Hard Disk Drive.
  • मॉडेम – Modem.
  • साउंड कार्ड – Sound Card.
  • मॉनिटर – Monitor.
  • की-बोर्ड माउस – Keyboard/Mouse.
Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-
आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती। 
कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था आइए जानते हैँ - 
 
 
मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए। 

अबेकस - 3000 वर्ष पूूूूर्व 

अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र - 2000 वर्ष पूर्व 

Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था

पास्‍कलाइन (Pascaline) - सन् 1642

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) - सन् 1822

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था,  इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड - 3 - सन् 1941 

महान वैज्ञानिक "कोनार्ड जुसे" नें "Zuse-Z3" नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।
 

अनिएक - सन् 1946 

अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ  (Electronic Numerical Integrator And Computer)  का निर्माण किया। "ENIAC"  दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें  "ENIAC"  सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई 

मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948 

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने
कंप्यूटर अपनी विशेषताओं के कारण मानव जीवन का अभिन्‍न अंग बन गया है हर कोई व्‍यक्ति अपने हिसाब से कंप्‍यूटर को प्रयोग में लाता है, कंप्यूटर में अनेकों विशेषता होती है आईये जानते हैं कंप्यूटर की विशेषता -Features of Computers in Hindi
 

कंप्यूटर की विशेषता - Features of Computers in Hindi

कंप्यूटर की पहली विशेषता गति (Speed) - 

जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है

कंप्यूटर की दूसरी विशेषता सटीकता (Accuracy) -

त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं

कंप्यूटर की तीसरी विशेषता स्वचलित (Automation) - 

कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है

कंप्यूटर की चौथी विशेषता स्थायी भंडारण क्षमता (permanent Storage) :

कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्राॅनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती है।

कंप्यूटर की पांंचवीं विशेषता विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : 

 
कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
 

कंप्यूटर की छटवीं  विशेषता भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval):

 
 कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
 

कंप्यूटर की सातवीं  विशेषता जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision) : 

 
कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।

कंप्यूटर की आठंवी विशेषता विविधता (Versatility) : 

 
कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
 

कंप्यूटर की नवीं विशेषता पुनरावृति (Repetition) : 

 
कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।
 

कंप्यूटर की दसवीं  विशेषता स्फूर्ति (Agility) : 

 
कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।

कंप्यूटर की ग्‍यारहवीं विशेषता गोपनीयता (Secrecy) :

 
पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।

कंप्यूटर की बारहवीं विशेषता कार्य की एकरूपता (Uniformity of work) : 

 
बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कंप्यूटर अपनी विशेषताओं के कारण मानव जीवन का अभिन्‍न अंग बन गया है हर कोई व्‍यक्ति अपने हिसाब से कंप्‍यूटर को प्रयोग में लाता है, कंप्यूटर में अनेकों विशेषता होती है आईये जानते हैं कंप्यूटर की विशेषता -Features of Computers in Hindi
 

कंप्यूटर की विशेषता - Features of Computers in Hindi

कंप्यूटर की पहली विशेषता गति (Speed) - 

जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है

कंप्यूटर की दूसरी विशेषता सटीकता (Accuracy) -

त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं

कंप्यूटर की तीसरी विशेषता स्वचलित (Automation) - 

कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है

कंप्यूटर की चौथी विशेषता स्थायी भंडारण क्षमता (permanent Storage) :

कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्राॅनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती है।

कंप्यूटर की पांंचवीं विशेषता विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : 

 
कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
 

कंप्यूटर की छटवीं  विशेषता भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval):

 
 कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
 

कंप्यूटर की सातवीं  विशेषता जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision) : 

 
कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।

कंप्यूटर की आठंवी विशेषता विविधता (Versatility) : 

 
कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
 

कंप्यूटर की नवीं विशेषता पुनरावृति (Repetition) : 

 
कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।
 

कंप्यूटर की दसवीं  विशेषता स्फूर्ति (Agility) : 

 
कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।

कंप्यूटर की ग्‍यारहवीं विशेषता गोपनीयता (Secrecy) :

 
पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।

कंप्यूटर की बारहवीं विशेषता कार्य की एकरूपता (Uniformity of work) : 

 
बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कंप्‍यूटर (Computer) को पीढी के अनुसार, कार्य के अनुसार और आकार के अनुसार कई भागों में बांटा गया है लेकिन शुरूआत से अब तक कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture) में कोई बदलाव नहीं आया है, तो आईये जानते हैं कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)
 

कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)

1- इनपुट यूनिट (Input unit)

इनपुट यूनिट (Input unit) कंप्यूटर के वह भाग हार्डवेयर होते हैं जिनके माध्‍यम से कंप्‍यूटर में कोई डाटा एंटर किया जा सकता है इनपुट के लिये अाप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं  यह i/o devices कहलाती है 

2- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit)

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं  CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है

3- मेमोरी  (Memory)

मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को संगृहीत करती है, यह प्राथमिक और द्वितीय दो प्रकार की हाेती है उदाहरण के लिये रैम और हार्ड डिस्‍क 

4- आउटपुट यूनिट (Output unit)

आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस का सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है 

कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना (Computer hardware structure)


कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-

•    मोनीटर या एल.सी.डी.
•    की-बोर्ड
•    माऊस
•    सी.पी.यू.
•    यू.पी.एस
 
 
मोनीटर या एल सी डी :- इसका प्रोयोग कम्प्यूटर के सभी प्रेाग्राम्स का डिस्‍प्ले दिखाता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है।
 
 
 
की-बोर्ड :- इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता है, यह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।
 
 
 
माऊस :- माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।
 
 
 
सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है हमारा सारा डाटा सेव रहता है कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है। सीपीयू के अन्‍दरूनी भागों के बारे में जानें क्लिक करें
 
 
 
यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लार्इ):- यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है।
 
 

यह सारे हार्डवेयर दो भागों में बॅटे रहता है- 

 
  • आउटपुट डिवाइस
  • इनपुट डिवाइसकंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) कंप्‍यूटर की संरचना के अनुसार कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को स्‍टोर करती है, मेमोरी (Memory) कम्प्यूटर का बुनियादी घटक है आईये जानते हैं कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hindi
     
    कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hindi

कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hindi

  • वैसे तो CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है, लेकिन जहां मनुष्‍य का मस्तिष्‍क बहुत सारे काम करने के साथ-साथ हमारी यादों को भी सुरक्षित रखने का काम करता है वहीं सीपीयू (CPU) केवल अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना कर इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है, प्रोसेस डाटा को सुरक्षित नहीं रख सकता है, अब उस प्रोसेस डाटा को कहीं सुरि‍क्षित भी रखना होता है, तो इस कार्य जिम्‍मा कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) के पास होता है, कंप्यूटर मेमोरी को बहुत सारे छोटे भागों में बाँटा गया है, जिन्हें हम सेल कहते हैं। प्रत्येक सेल का यूनिक एड्रेस या पाथ होता है। आप जब भी कोई फाइल कंप्‍यूटर में सुरक्षित या सेव करते हैं तो वह एक सेल में सेव होती है-
     

कंप्यूटर मेमोरी दो प्रकार की होती है -

    1. परिवर्तनशील -(Volatile) इसे प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) के नाम से भी जाना जाता है, इसे मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, यह सीधे सीपीयू के सम्‍पर्क में रहती है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है, इसे परिवर्तनशील - (Volatile) मेमोरी इसलिये कहा जाता है क्‍योंकि यह मेमोरी डेटा को परमानेंटली स्‍टोर नहीं कर सकती है उदाहरण - रैम 
    2. अपरिवर्तनशील - (Non-volatile) - इसे सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) के नाम से जाना जाता है इसका प्रयोग को ज्‍यादा मात्रा में डेटा को स्थायी रूप से स्‍टोर करने के किया जाता है इसलिये द्वितीय सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) को स्टोरेज बताया गया है ना कि मेमोरी उदाहरण - हार्डडिस्‍क 

स्‍पेस के आधार पर कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) चार प्रकार की होती है - 

कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट - Computer Memory Units in Hindi  

  • जिस प्रकार समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, इसे कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट कहते हैं -
     
    कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) की सबसे छोटी इकाई होती है बिट (bit) एक बिट बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 में से केवल एक युग्म मूल्य (binary value) होता है और जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।
     
    सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख MP3 को स्‍टोर किया जा सकता है।
    • 1 बिट (bit) = 0, 1 
    • 4 बिट (bit) =  1 निब्‍बल 
    • 8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)
    • 1000 बाइट्स (Byte) = एक किलोबाइट (KB)
    • 1024 किलोबाइट (KB) = एक मेगाबाइट (MB)
    • 1024 मेगाबाइट (MB) = एक गीगाबाइट (GB)
    • 1024 गीगाबाइट (GB) = एक टेराबाइट (TB)
    • 1024 टेराबाइट (TB) = एक पेंटाइट (PB)
    • 1024 पेडाबाइट (PB) = एक एक्साबाइट (EB)
    • 1024 एक्साबाइट (EB) = एक ज़ेटबाइट (ZB)
    • 1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = एक ज़ेटबाइट (YB) 
    • कंप्यूटर के प्रकार कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया गया है इसमें 1- एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer), 2- डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer), 3- हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) इन तीनों की अपनी अपनी विशेषतायें हैं तो आइये जानते हैं क्‍या होता है डिजिटल, एनालॉग और हाइब्रिड कंप्यूटर, कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)
       

कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)

एनालॉग कंप्यूटर क्या है (What is analog computer)

    • इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों दाब, तापमान, लंबाई, गति आदि को मापने में किया जाता है, चलिये थोडा और समझते हैं, बात करते हैं मौसम विज्ञान की आपको हवा का दबाब, वातावरण मेें नमी या बारिश कितनी हुई या आज का सबसे कम या सबसे ज्‍यादा तापमान कितना था इन सब के आंकडें इकठ्ठा करने के लिये एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) बनाये गये हैं वर्षामापी (रेन गेज) - इससे किसी विशेष स्थान पर हुई वर्षा की मात्रा नापी जाती हैं, 2 आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर) - इससे वायुमण्डल में व्याप्त आर्द्रता नापी जाती है, एनिमोमीटर - इससे वायु की शक्ति तथा गति को नापा जाता है, यानि यह सब एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) भौतिक आंकडों को इकठ्ठा करते हैं 

डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer)

    • डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आप आमतौर पर प्रयोग करते हैं अपने घरों में, कार्यालयों में, जिसमें डिजिटल तरीके से डाटा को फीड किया जाता है और आउटपुट प्राप्‍त किया जाता है अधिकतक डिजिटल कंप्‍यूटर ही प्रयोग में आते हैं और बाजारों में आमतौर पर उपलब्‍ध रहते हैं डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।

हाइब्रिड कम्प्यूटर क्या है (What is Hybrid Computer)

    • हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) में एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) और डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) दोनों के ही गुण होते है। ये कंप्‍यूटर एनालाॅॅॅग और डिजिटल से अधिक भरोसेमंद माने जाते हैं इनका काम होता है एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) से प्राप्‍त आंकडों को डिज़िटल रूप में उपलब्‍ध कराना, चिकित्‍सा, मौसम विज्ञान में इनका सबसे ज्‍यादा प्रयोग होता है 
      कंप्‍यूटर का अविष्‍कार जब से हुआ है उसके आकार और कार्य क्षमता में बदलाव  होते हैं रहें हैं, कंप्‍यूटर को आकार के आधार पर चार श्रेणीयों में बांटा गया है सुपर कंप्‍यूटर, मेनफ्रेम कंप्‍यूटर, मिनी कंप्‍यूटर एव माइक्रो कंप्‍यूटर तो आईये जानते हैं आकार के आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (classification of computer based on Size)
       

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size) Computer Ke Prakar

1. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)

    •  
      माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आराम से डेस्‍क पर रखा जा सकता है, छोटे कंप्‍यूटरों का विकास 1970 में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ हुआ, माइक्रो प्रोसेसर आने से सस्ते और आकार में छोटे कंप्‍यूटर बनाना संंभव हुआ, इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) भी कहते है, माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट पीसी और वर्कस्टेशन आते हैं

2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)

    •  
      मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) अाकार और क्ष्‍ामता में माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) से बडे होते हैं, सबसे पहला मिनी कंप्यूटर 1965 में तैयार किया था, इसका आकार किसी रेफ्रिजरेटर के बराबर था, जहां एक ओर पर्सनल कंप्‍यूटर यानि माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में एक C.P.U. होता है वहीं मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है और मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है, इनका उपयोग प्रायः छोटी या मध्यम आकार की कम्पनियाँ करती हैं

3. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) 

    •  
      मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) आकार में बहुत बडें होते हैं, बडी कंपनियों में केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) का प्रयोग होता है, एक नेटवर्क में कई कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है इसमें सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है, मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) में नोड डॉट जेएस (Node.js) एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जाता है

4. सुपर कंप्यूटर (Super Computer) 

    • सुपर कंप्यूटर (Super Computer) अन्य सभी श्रेणियों माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer), मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) और मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) की तुलना में अत्‍यधिक बड़े, अधिक संग्रह क्षमता वाले और सबसे अधिक गति वाले होते हैं, इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है, सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, 1998 में भारत में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था "परम-10000", इसकी गणना क्ष्‍ामता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम है

कंप्यूटर की कार्य प्रणाली (Computer Functions)

    •  
      कंप्‍यूटर के कार्यप्रणाली की प्रक्रिया एक चरणबद्ध तरीके से पूरी होती है - 

इनपुट (Input) → प्रोसेसिंग (Processing) → आउटपुट (Output)

      1. इनपुट के लिये आप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं या डाटा एंटर करते हैं। 
      2. यह इस प्रक्रिया का दूसरा भाग है इसमें अापके द्वारा दी गयी कंमाड या डाटा को प्रोसेसर द्वारा सॉफ्टवेयर में उपलब्‍ध जानकारी और निर्देशों के अनुसार प्रोसेस कराया जाता है। 
      3. तीसरा और अंतिम भाग आउटपुट इसमें आपके द्वारा दी गयी कंमाड के आधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस द्वारा प्राप्‍त हो जाता है। 
       

आउटपुट डिवाइस (Output Device) की सूची 

    •  
      आउटपुट डिवाइस:- आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस हार्डवेयर होता है आउटपुट डिवाइस सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है 
      1. मोनीटर 
      2. स्पीकर
      3. प्रिन्टर
      4. प्रोजेक्टर
      5. हेडफोन
      6. प्रिंटर

इनपुट डिवाइस (Input Device) की सूची 

    • इनपुट डिवाइस इनपुट डिवाइस ऐसी होती हैं जिनसे कंप्यूटर में डेटा और कमांड स्‍टोर या एंटर कराया जा सकता है इनपुट डिवाइस मेन मेमोरी में स्टोर किए गए डेटा और निर्देशों को बायनरी में कन्वर्ट कर देती है
      1. माऊस
      2. की-बोर्ड
      3. स्केनर
      4. डी.वी.डी.ड्राइव
      5. पेनड्राईव
      6. कार्डरीडर 
      7. माइक्रोफोन

कम्प्यूटर के महत्वपूर्ण भाग

    • कंप्यूटर एक मशीन है और कंप्यूटर के यही मशीनरी पार्ट्स कंप्यूटर का हार्डवेयर कहलाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेला हार्डवेयर की सभी काम कर सकता है कंप्यूटर का दूसरा हिस्सा सॉफ्टवेयर भी है सॉफ्टवेयर की सहायता से ही कंप्यूटर के हार्डवेयर को निर्देश दिए जाते हैं और निर्देशों को फॉलो करते हुए हार्डवेयर सभी काम करता है सॉफ्टवेयर कंप्यूटर की आत्मा है और हार्डवेयर उसका शरीर है दोनों का होना परम आवश्यक है किसी भी काम को करने के लिए कंप्यूटर के साथ हार्डवेयर के रूप में जुड़े हुए सभी से महत्वपूर्ण होते हैं और अपना अलग-अलग काम करते हैं जैसे कीबोर्ड इनपुट लेता है और प्रिंटर आपको आउटपुट देता है
       
      कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-
      1. मोनीटर या एल सी डी:- इसका प्रोयोग कम्प्यूटर के सभी प्रेाग्राम्स का डिस्‍प्ले दिखाता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है।
      2. की-बोर्ड :- इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता है, यह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।
      3. माऊस :- माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।
      4. सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है हमारा सारा डाटा सेव रहता है कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है। सीपीयू के अन्‍दरूनी भागों के बारे में जानें क्लिक करें। 
      5. यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लाई ):- यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है।

MS Word In Hindi:

    • Word 2010 एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जिसका इस्‍तेमाल लेटर्स, एसए, स्‍टेटमेंट, रिपोर्ट की तरह टेक्‍स्‍ट बेस डॉक्युमेंट्स बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। इसके अलावा वर्ड में आप मार्केटिंग उद्देश्य के लिए लेटर को एक साथ कई एड्रेस पर भेज सकते हैं। एमएस वर्ड में आप वेब पेज भी बना सकते हैं।

      एमएस वर्ड को वर्ड प्रोसेसर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

       

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      एमएस वर्ड नोटस को आप यहाँ से फ्री में डाउनलोड कर सकते है।

       

Download MS Word Notes In Hindi PDF:

MS Word In Hindi:

    • Getting Started :

      Learn MS Word Hindi. एमएस वर्ड 2010 को स्‍टार्ट करने के लिए Word 2010 के डेस्‍कटॉप आइकन पर क्लिक करें या Start-All Programs-Microsoft Office-Microsoft Word 2010 में जाएं।

       

      Learn MS Word Hindi:

Window of Word 2010 looks like –

    • Office Element :

      1) Title Bar :

      यह वर्ड विंडो के सबसे उपर स्थित होता है। यह जिस डॉक्युमेंट्स में आप वर्तमान में काम कर रहे हैं उसका नाम डिस्‍प्‍ले करता है। टाइटल बार के दाईं ओर Minimize, Maximize/Restore और Close के बटन होते है। और इसके लेफ्ट साइड में एक Quick Access टूल बार होता है।

       

      2) Ribbon:

      रिबन पहले के वर्जन के मेनू और टूलबार की जगह में आया हैं। इसमें विशिष्‍ट टास्‍क से संबंधित कमांडस् को ब्राउज़ करने के लिए टैब होते है। इसके आगे यह टैब ग्रुप में डिवाइड होते हैं।

      हम इस रिबन को हाइड भी कर सकते है, इसके लिए इस रिबन पर कहीं भी राइट क्लिक कर Minimize the Ribbon button पर राइट क्लिक करें या फिर राइड साइड के Minimize the Ribbon (Ctrl+F1) बटन पर क्लिक करें। रिबन को हाइड करने पर आपको काम करने के लिए अधिक स्‍पेस मिलती है। रिबन को फिर से अनहाइड करने के लिए Expand the Ribbon (Ctrl+F1) बटन पर क्लिक करें।

       

      Ribbon Contains Three Main Parts –

      i) Tabs – यह टास्‍क ओरिएंटेड होते है और रिबन के टॉप पर स्थित होते हैं। उदाहरण के लिए, Home, Inset, Page Layout आदि।

      ii) Groups- प्रत्येक टैब आगे सब टास्‍क में डिवाइड किया गया है। उदाहरण के लिए, Home टैब को Clipboard, Font, Paragraph, Styles और Editing ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप के राइट साइड में एक छोटा ऐरो होता है, जिसे Dialog Box Launcher कहा जाता है। इसपर क्लिक करने पर अतिरिक्त ऑप्‍शन उपलब्‍ध होते है।

      iii) Command Buttons – यह बटन्‍स प्रत्येक ग्रुप के रिलेटिव होते हैं। उदाहरण के लिए, Font ग्रुप में Bold, Italic, Underline आदि कमांडस् बटन्‍स शामिल होते है।

       

      Tabs That Appear Only When You Need Them

      उपर दिए गए टैब्‍स के अलावा,  यहाँ टैब्स के अन्य प्रकार भी हैं। लेकिन वे जब आप उनसे संबंधित टास्‍क कर रहे होते है, तभी दिखाई देते है।

       

      Contextual Tools : जब आप किसी ऑब्‍जेक्‍ट पर काम कर रहे होते है और जब आप उस ऑब्‍जेक्‍ट को सिलेक्‍ट करते है, तब यह टैब आपको दिखाई देगा।

      e.g. –

      • वर्ड में एक इमेज इन्सर्ट करें।
      • जब आप इमेज को सिलेक्‍ट करेंगे, तब आप Format Tab रिबन के राइट साइड में देख सकते है।

       

      3) File Button :

      यह बटन वर्ड विंडो के उपर लेफ्ट कॉर्नर में होता है। इस बटन पर New, Open, Save, Save As, Print and Close जैसे कमांड के बटन होते है।

       

      4) Quick Access Toolbar:

      Office बटन के राइट साइड में Quick Access Toolbar होता है, जिसमें हमेशा इस्‍तेमाल होने वाले आइटम के बटन होते है। उदा, Save, और Undo या Redo बटन। इस टूलबार में और बटन्‍स को एड करने के लिए इसके राइड साइड के छोटे ऐरो पर क्लिक करें‍।

       

      5) The Status Bar

      स्‍टेटस बार विंडो के निचे स्थित होता है और इसमें वर्तमान पेज नंबर, सेक्‍शन, डॉक्युमेंट्स में कुल शब्‍दों की संख्‍या आदि डिस्‍प्‍ले होता है। इस बार पर राइट क्लिक कर आप अन्‍रू ऑप्‍शन सिलेक्‍ट कर सकते है।

       

      5) Zoom Slider

      विंडो के राइट कॉर्नर में स्‍टेटस बार पर यह Zoom slider होता है। डॉक्युमेंट को अलग अलग जूम के परसेंटेज देखने के लिए प्‍लस या माइनस बटन पर क्लिक करें।

       

      6) Document View Buttons

      Zoom Slider के लेफ्ट साइड में Document View बटन्‍स होते है। अपने डॉक्‍युमेंट को Print Layout, Full Screen, Web Layout, Outline या Draft में देखने के लिए आप इनमेंसे किसी एक पर क्लिक कर सकते है।

       

      Learn MS Word Hindi:

Menu In MS Word 2010:

    • 1) File :

      File मेनू में निचें के कमांडस्‍ है:

      a) Save (Ctrl+S) : इस कमांड को डॉक्‍युमेंट सेव करने के लिए यूज किया जाता है। जब आप इस कमांड पर क्लिक करते है, तब निचें का एक डायलॉग बॉक्‍स दिखाई देता है।

      File Name : यहाँ आप फाइल के लिए नाम दे सकते है।

      Save As : यहाँ फाइल फॉर्मेट  एक लिस्‍ट होती है, जिसमें वह फाइल सेव होती है। डिफ़ॉल्ट रूप से यहाँ Word Document फॉर्मेट सिलेक्‍ट होता है, जिसमें यह डॉक्‍युमेंट वर्ड 2010 के फॉर्मेट मे सेव किया जाता है।

      अगर आप पूराने वर्जन में सेव करना चाहते है, तो Word 97-2003 फॉर्मेट को सिलेक्‍ट करें।

      यदि आप इस फाइल को पीडीएफ फॉर्मेट में सेव करना चाहते है, तो PDF सिलेक्‍ट करें।

      यदि आप इस फाइल को वेब पेज फॉर्मेट में सेव करना चाहते है, तो web page सिलेक्‍ट करें।

       

      Tools : यह बटन Save के लेफ्ट साइड में होता है। इसमें डॉक्‍युमेंट सेव करने के लिए अतिरिक्‍त्‍ ऑप्‍शन होते है। यहाँ आप अपने डॉक्‍युमेंट को प्रोटेक्‍ट करने के लिए पासवर्ड सेट कर सकते है।

       

      b) Save As :

      यदि आप पहले से क्रिएट फाइल को दूसरे नाम से या दूसरे फॉर्मेट में सेव करना चाहते है, तो Save As कमांड का उपयोग करें।

       

      c) Open (Ctrl+O):

      पहले से क्रिएट डॉक्‍युमेंट फाइल को ओपन करने के लिए यह कमांड होती है। जब आप इस कमांड पर क्लिक करते है, तब एक डॉयलॉग बॉक्‍स ओपन होता है, जिसमें आपको अपने फाइल का पाथ देता है। फिर Open बटन पर क्लिक करना होता है।

       

      d) Close :

      बिना एमएस वर्ड क्‍लोज किए ओपन फाइल को क्‍लोज करने के लिए इस कमांड का उपयोग करें।

       

      e) Info :

      इसमें करंट डॉक्यूमेंट से संबंधित निम्‍न जानकारी होती है –

      i) Product Activation : इसमें Office 2010 के लाइसेंस की जानकारी होती है।

      ii) Permission : दूसरे यूजर्स से अपने फाइल को प्रोटेक्‍ट करने के लिए यहाँ आप एक पासवर्ड सेट कर सकते है। लेकिन याद रहे की अगर आप यह पासवर्ड भूल गए तो इस पासवर्ड को पुनः प्राप्त नही कर सकते।

       

      f) Recent :

      यहाँ पिछली बार ओपन किए डॉक्‍यूमेंट फाइलों की एक लिस्‍ट होती है, जिनपर क्लिक करने से आप तुरंत वे फाइलें ओपन कर सकते है।

       

      g) New (Ctrl+N):

      इस कमांड को उपयोग एक ब्‍लैंक डॉक्‍यूमेंट क्रिएट करने के लिए होता है। इसके साथ ही यहाँ कई टेम्प्लेट्स भी होते है।

       

      h) Print (Ctrl+P):

      डॉक्‍यूमेंट को प्रिंट करने के लिए इस कमांड का उपयोग होता है। इसमें निचें के ऑप्‍शन होते है –

      i) Print : इस बटन पर क्लिक करने पर फाइल को प्रिंट करने के लिए भेज दिया जाता है।

      ii) Copies : यहाँ से आप इस डॉक्‍यूमेंट की कितनी कॉपीज़ प्रिंट करनी है यह तय कर सकते है।

      iii) Printer : यहाँ आपके पीसी पर इंस्‍टॉल प्रिंटर कि लिस्‍ट होती है, जिसमें से आपको प्रिंटर सिलेक्‍ट करना होता है।

      iv) Settings : यहाँ इस फाइल के कौनसे पेजेस को प्रिंट करना है, यह तय कर सकते है

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